तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है और साथ ही या पंच केदार में से तृतीय केदार भी है।
धार्मिक महत्व और पौराणिक कथाएं :-
पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव महाभारत युद्ध के बाद अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव को खोज रहे थे तब भगवान शिव ने स्वयं को बैल के रूप में परिवर्तित कर लिया और अलग-अलग स्थान पर छिप गए। भगवान शिव के हाथ तुंगनाथ में प्रकट हुए तथा बाकी चार ; केदारनाथ (पीठ), मध्यमहेश्वर (नाभि), रुद्रनाथ (चेहरा) और कल्पेश्वर (जटा) में प्रकट हुए। इन्हीं पांचो को मिलाकर पंच केदार के नाम से जाना जाता है। तुंगनाथ को तृतीय केदार भी कहा जाता है। इसलिए यह भी माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कराया गया था।
प्राकृतिक सौंदर्य :-
तुंगनाथ मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है इसलिए इसे Mini Switzerland भी कहा जाता है। मंदिर के चारों ऊंचे पर्वत और घने जंगल हैं। यहां का मौसम सुहावना रहता है और चारों ओर शांति का वातावरण होता है।
कैसे पहुंचे तुंगनाथ मंदिर?
तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचाने के लिए रुद्रप्रयाग से होकर चोपता तक आना होता है। चोपता से मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 3.5 Km की पैदल यात्रा करनी होती है। यहां आने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार तथा निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट हैं।.
यात्रा के लिए उचित समय :-
तुंगनाथ मंदिर में अप्रैल/मई से अक्टूबर/नवंबर तक दर्शन के लिए खुला रहता है। बाकी महीना में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर का रास्ता बंद हो जाता है।
रहने और खाने की व्यवस्था
यहां आपको ठहरने के लिए छोटे-छोटे गेस्ट हाउस मिल जाते हैं। खाने पीने की व्यवस्था भी आपको चोपता में ही उपलब्ध हो जाएगी। जब आप चोपता से मंदिर के लिए ट्रेक स्टार्ट करते हैं तो आपको रास्ते के बीच-बीच में आपको छोटी-छोटी दुकान मिल जाएंगी जहां आप कुछ देर रुक कर मनमोहक दृश्य के साथ चाय का आनंद ले सकते हैं।
चंद्रशिला :-
तुंगनाथ मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रशिला नामक एक पहाड़ी चोटी है। यहां से हिमालय का बहुत ही अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। चंद्रशिला प्रकार छोटे-छोटे मंदिर है जिसमें देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिक को समर्पित मंदिर है। यहां से आपको हिमालय की चोटी का 360 डिग्री का दृश्य देखने को मिलता है।
ॐ नमः पार्वती पतये : हर हर महादेव 🔱
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां :-
1. तुंगनाथ मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
महाभारत के बाद पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और उनके हाथ तुङ्गनाथ में प्रकट हुए।
2. तुंगनाथ की यात्रा का सबसे अच्छा समय कब है?
तुंगनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से नवंबर के बीच का होता है।
3. तुंगनाथ मंदिर की यात्रा के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है?
यात्रा के लिए अच्छे जूते, गर्म कपड़े, पानी की बोतल, सूखे मेवे, और प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखना चाहिए।
4. तुंगनाथ मंदिर का महत्व क्यों है?
तुंगनाथ मंदिर पंच केदारों में तीसरे स्थान पर आता है और इसे भगवान शिव के हाथ के रूप में पूजा जाता है।
5. तुंगनाथ मंदिर के आसपास कौन-कौन से प्रमुख पर्यटक स्थल हैं?
तुंगनाथ मंदिर के आसपास चंद्रशिला, देवरिया ताल, और चोपता प्रमुख पर्यटक स्थल हैं, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं।
तुंगनाथ मंदिर धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता का एक अद्भुत मिश्रण है। यदि आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं तो आपको अवश्य ही इस मंदिर का दर्शन करना चाहिए। ऐसे ही ब्लॉग के लिए wanderindia.in से जुड़े रहे।
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