क्या आप भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दिव्य दर्शन की योजना बना रहे हैं? मध्य प्रदेश की पवित्र नर्मदा नदी के किनारे, ‘ॐ’ के आकार के एक द्वीप पर स्थित यह धाम शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ आध्यात्मिकता प्रकृति की सुंदरता से मिलती है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के महत्व, सही दर्शन विधि और सबसे महत्वपूर्ण, इंदौर से ओम्कारेश्वर कितनी दूर है और उज्जैन से ओम्कारेश्वर कितनी दूर है जैसे आपके सभी यात्रा-संबंधी प्रश्नों का विस्तृत उत्तर देंगे।
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व: क्यों है यह इतना खास?
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम ‘ॐ’ शब्द से लिया गया है, जो ब्रह्मांड की ध्वनि और सृष्टि का प्रतीक है। नर्मदा नदी के बीच मांधाता और शिवपुरी नामक दो द्वीप हैं, जो मिलकर ‘ॐ’ का आकार बनाते हैं। यही कारण है कि यह ज्योतिर्लिंग ‘ओम्कारेश्वर’ कहलाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार:
राजा मान्धाता की तपस्या: माना जाता है कि इक्ष्वाकु वंश के महान राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा के किनारे घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उनके वरदान स्वरूप ही शिवजी यहाँ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और निवास करने लगे।
देवताओं और राक्षसों का युद्ध: एक अन्य कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच हुए युद्ध में देवताओं की विजय के लिए शिवजी यहाँ प्रकट हुए थे।
शिव-पार्वती का रात्रि विश्राम: ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती रात में यहाँ विश्राम करने आते हैं, इसीलिए शाम की आरती के बाद मंदिर में शयन आरती की जाती है और गर्भगृह को खाली छोड़ दिया जाता है।
श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और इसके विपरीत स्थित ममलेश्वर मंदिर को एक ही ज्योतिर्लिंग के दो भाग माना जाता है। दोनों मंदिरों के दर्शन का विशेष महत्व है।
ओम्कारेश्वर में दर्शन विधि और मंदिर के घंटे
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव के दर्शन का एक विशेष अनुभव है। यहाँ नर्मदा नदी में स्नान के बाद दर्शन करने की परंपरा है।
दर्शन का तरीका:
- नर्मदा स्नान: सबसे पहले नर्मदा नदी में स्नान करें।
नौका विहार (वैकल्पिक): आप पुल से चलकर या नाव से भी मंदिर तक पहुँच सकते हैं। नाव से द्वीप के चारों ओर परिक्रमा का भी अनुभव ले सकते हैं।
लाइन में लगना: मंदिर में दर्शन के लिए सामान्य कतार में लगें। विशेष अवसरों पर भीड़ अधिक होती है।
जल अभिषेक: आप गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ा सकते हैं। (विशेष अवसरों पर या भीड़ होने पर गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित हो सकता है, ऐसे में बाहर से ही दर्शन करने पड़ते हैं)।
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के घंटे (समय सारिणी):
मंगल आरती और भोग: सुबह 04:30 AM – 05:00 AM
मंगल दर्शन: सुबह 05:00 AM – 12:20 PM
माध्याह्न भोग: दोपहर 12:20 PM – 01:15 PM
माध्याह्न दर्शन: दोपहर 01:15 PM – 04:00 PM
शयन शृंगार और आरती: शाम 08:30 PM – 09:00 PM
शयन शृंगार दर्शन: रात 09:00 PM – 09:30 PM
नोट: आरती और शृंगार के समय दर्शन बंद रहते हैं। त्योहारों और विशेष अवसरों पर समय में बदलाव हो सकता है।
ओम्कारेश्वर कैसे पहुंचें: इंदौर और उज्जैन से आसान मार्ग

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में एक सुलभ तीर्थ स्थल है। आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग से यहाँ पहुँच सकते हैं। खासकर इंदौर और उज्जैन से यहाँ पहुंचना बहुत आसान है।
इंदौर से ओम्कारेश्वर कितनी दूर है और कैसे पहुंचें?
दूरी: इंदौर से ओम्कारेश्वर की दूरी लगभग 77 किलोमीटर है।
यात्रा का समय: सड़क मार्ग से इसमें लगभग 2 से 2.5 घंटे का समय लगता है।
कैसे पहुंचें:
टैक्सी/कैब: इंदौर से ओम्कारेश्वर के लिए सीधी टैक्सी या कैब आसानी से मिल जाती हैं। यह सबसे आरामदायक तरीका है।
बस: इंदौर के सरवटे बस स्टैंड से ओम्कारेश्वर के लिए सीधी बसें उपलब्ध हैं।
ट्रेन: इंदौर से खंडवा के लिए ट्रेन लें, और खंडवा से ओम्कारेश्वर रोड स्टेशन (मोरटक्का) के लिए लोकल ट्रेन या बस/टैक्सी ले सकते हैं। मोरटक्का स्टेशन मंदिर से लगभग 12 किमी दूर है।
उज्जैन से ओम्कारेश्वर कितनी दूर है और कैसे पहुंचें?
दूरी: उज्जैन से ओम्कारेश्वर की दूरी लगभग 140 किलोमीटर है।
यात्रा का समय: सड़क मार्ग से इसमें लगभग 3 से 4 घंटे का समय लगता है।
कैसे पहुंचें:
टैक्सी/कैब: उज्जैन से ओम्कारेश्वर के लिए सीधी टैक्सी या कैब उपलब्ध हैं।
बस: उज्जैन से इंदौर के लिए बस लें, और फिर इंदौर से ओम्कारेश्वर के लिए दूसरी बस या टैक्सी लें। सीधी बसें कम मिलती हैं।
ट्रेन: उज्जैन से खंडवा के लिए ट्रेन लें, और फिर खंडवा से ओम्कारेश्वर रोड स्टेशन (मोरटक्का) के लिए लोकल ट्रेन या बस/टैक्सी ले सकते हैं।
अन्य शहरों से ओम्कारेश्वर कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा) है, जो लगभग 77 किमी दूर है। यहाँ से टैक्सी या बस ले सकते हैं।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ओम्कारेश्वर रोड (मोरटक्का) स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 12 किमी दूर है। यह खंडवा-इंदौर रेल लाइन पर स्थित है। खंडवा एक प्रमुख जंक्शन है जहाँ देश के कई बड़े शहरों से ट्रेनें आती हैं।
सड़क मार्ग: मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से ओम्कारेश्वर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
महाकालेश्वर उज्जैन से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी
मध्य प्रदेश में स्थित दो पवित्र ज्योतिर्लिंग – श्री महाकालेश्वर उज्जैन और श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग – की यात्रा अक्सर भक्त एक साथ करते हैं।
महाकालेश्वर उज्जैन से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी लगभग 140 किलोमीटर है।
इस दूरी को तय करने में सड़क मार्ग से 3 से 4 घंटे का समय लगता है। आप उज्जैन से सीधे टैक्सी किराए पर ले सकते हैं, या इंदौर होते हुए बस से जा सकते हैं।
यह दोनों ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।
ओम्कारेश्वर यात्रा के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च का समय ओम्कारेश्वर का मौसम सुखद होने के कारण यात्रा के लिए सबसे अच्छा है। गर्मियों में (अप्रैल से जून) बहुत गर्मी होती है।
आवास: ओम्कारेश्वर में विभिन्न बजट के लिए धर्मशालाएं, गेस्ट हाउस और होटल उपलब्ध हैं। श्री कुशवाह क्षत्रिय समाज धर्मशाला ओम्कारेश्वर जैसी कई धर्मशालाएं भी हैं।
तैयारी: आरामदायक जूते पहनें, खासकर यदि आप पैदल घूमना चाहते हैं। गर्मी के मौसम में पानी की बोतल और कैप साथ रखें।
स्थानीय परिवहन: मंदिर परिसर और आसपास घूमने के लिए ऑटो-रिक्शा, स्थानीय टैक्सी और नाव उपलब्ध हैं।
सुरक्षा: अपने सामान का ध्यान रखें, खासकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में।
ओम्कारेश्वर के पास घूमने लायक अन्य प्रमुख स्थान
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद, आप आसपास के कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थानों का भी भ्रमण कर सकते हैं:
ममलेश्वर मंदिर: यह नर्मदा नदी के उस पार स्थित है और इसे ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का ही एक हिस्सा माना जाता है। दोनों के दर्शन से ही ज्योतिर्लिंग यात्रा पूर्ण मानी जाती है।
झूला पुल (लक्ष्मण सेतु): नर्मदा नदी पर बना यह सुंदर पुल, जहाँ से नदी और आसपास के दृश्य अद्भुत लगते हैं।
गोमुख घाट: नर्मदा नदी के किनारे एक पवित्र स्नान घाट जहाँ भक्त डुबकी लगाते हैं।
24 अवतार मंदिर: यह विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित मंदिरों का एक समूह है।
श्री गोविंद भगवत्पाद गुफा: यह वह स्थान माना जाता है जहाँ आदि शंकराचार्य ने अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से शिक्षा प्राप्त की थी।
काजल रानी गुफा: एक प्राकृतिक गुफा जो अपने सुंदर दृश्यों के लिए जानी जाती है।
निष्कर्ष: एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक यात्रा
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में एक ऐसा दिव्य धाम है जो भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता से भी मंत्रमुग्ध कर देता है। चाहे आप इंदौर से ओम्कारेश्वर आ रहे हों या उज्जैन से, इस पवित्र स्थल की यात्रा आपके जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव होगी। भगवान शिव के ओम आकार के इस स्वरूप के दर्शन कर आप निश्चित रूप से एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव करेंगे। अपनी यात्रा की योजना बनाएं और इस दिव्य धाम के आशीर्वाद प्राप्त करें!
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए क्या कोई विशेष ड्रेस कोड है?
A1: ओम्कारेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए कोई कड़ा ड्रेस कोड नहीं है, लेकिन भारतीय मंदिरों में प्रवेश करते समय शालीन कपड़े पहनना उचित माना जाता है। पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार-कमीज जैसे पारंपरिक वस्त्र उपयुक्त रहते हैं।
Q2: क्या ओम्कारेश्वर में मोबाइल फोन और कैमरे ले जाने की अनुमति है?
A2: गर्भगृह के अंदर मोबाइल फोन और कैमरे ले जाने की आमतौर पर अनुमति नहीं होती है। मंदिर परिसर में प्रवेश से पहले आपको इन्हें लॉकर में जमा करना पड़ सकता है। सुरक्षा कारणों और भक्तों की सुविधा के लिए यह नियम लागू किया जाता है।
Q3: ओम्कारेश्वर मंदिर में मुख्य पूजा या अभिषेक के लिए अग्रिम बुकिंग की आवश्यकता होती है क्या?
A3: सामान्य दर्शन के लिए अग्रिम बुकिंग की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, विशेष पूजा (जैसे रुद्राभिषेक) या भीड़भाड़ वाले त्योहारों के दौरान, मंदिर प्रशासन की वेबसाइट या स्थानीय पुजारी से पहले से जानकारी लेना उचित रहता है।
Q4: ओम्कारेश्वर द्वीप की परिक्रमा नाव से करना क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
A4: ओम्कारेश्वर द्वीप की नाव से परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह द्वीप स्वयं ‘ॐ’ के आकार का है। इस परिक्रमा को ‘ओम्कारेश्वर परिक्रमा’ कहते हैं और यह भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है, साथ ही नर्मदा के सुंदर दृश्यों का भी आनंद मिलता है।
Q5: ओम्कारेश्वर और ममलेश्वर मंदिर के बीच क्या संबंध है और दोनों के दर्शन क्यों जरूरी हैं?
A5: ओम्कारेश्वर और ममलेश्वर मंदिर दोनों एक ही ज्योतिर्लिंग के दो भाग माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ओम्कारेश्वर में ज्योतिर्लिंग का ऊपरी भाग स्थित है, जबकि ममलेश्वर में इसका निचला भाग। इन दोनों मंदिरों के दर्शन करने के बाद ही ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा को पूर्ण और फलदायी माना जाता है।